विश्वत सेन
पहले उठकर करो प्रणाम
निज मात-पिता हैं धरती के धाम!
अतिथि-अभ्यागत हैं दूसरे देव
जग में उत्तम हैं गुरुदेव!!
मात-पितर की पूजा करना,
गुरुओं को देना सम्मान!
अतिथि-अभ्यागत की पूजा करना,
प्रबुद्धजनों का रखना मान!!
फिर करो तुम कल की चिंता
जागने से सोने तक औ'
सोने से जागने तक,
कर्मदेव की पूजा करना
फलाफल से जी न भरना!
बन जायेंगे बिगड़े काम
ईश्वर का तुम धरना ध्यान!
जिसने लिया आलस का सहारा
उसे फिर कष्टों ने मारा!
कई थपेड़े सहने पड़ेंगे
आतप-आंधी सहने पड़ेंगे!
फिर न मिलेगा कोई सहारा
क्यूंकि आलस ने है तुमको मारा!!
प्रबुद्धजनों की मानों बात
कभी न आएगा झंझावत!
जीवन सुखमय हो जायेगा,
फिर न कभी तू पछतायेगा!!
यदि तुमने कभी 'सार' न सीखा,
रह जाओगे 'ठूंठ' सरीखा!
यही जीवन का हिया मूल मंत्र
सफलता का सरल यन्त्र!
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