सोमवार, 12 फ़रवरी 2018

देश ही नहीं, विदेशों में भी हिंदी का 'हवा महल' बना रहा रेडियो (विरासत के झरोखे से...भाग-छह)

विश्वत सेन

1924 में जब मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब ने भारत में स्थापना की थी, तब उसके संस्थापकों को यह गुमान भी नहीं होगा कि यह रेडियो एक दिन भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में हिंदी का 'हवा महल' तैयार कर देगा। जी हां, आप सौ फीसदी सही पढ़ रहे हैं। भारत में रेडियो की स्थापना आज से करीब 194 साल पहले 1924 में हुई थी। इसकी शुरुआत मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब ने की थी। स्थापना के तीन साल बाद तक इस क्लब ने रेडियो से प्रसारण का काम किया, मगर आर्थिक तंगी के कारण इसका प्रसारण बंद कर दिया गया।

मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब का रेडियो प्रसारण बंद होने के बाद 1927 में ही तब के बांबे और आज की मुंबई के कुछ व्यापारियों ने कलकत्ता और मुंबई से भारतीय प्रसारण कंपनी (Indian Broadcasting Company) की स्थापना कर रेडियो पर कार्यक्रमों का प्रसारण शुरू किया। यह कंपनी भी 1930 के आते-आते रेडियो कार्यक्रम के प्रसारण में विफल साबित हुई। इसके दो साल बाद भारत में शासन कर रही अंग्रेजी हुकूमत ने रेडियो कार्यक्रमों का प्रसारण करने का जिम्मा अपने हाथों में ले लिया। उसने अलग से एक प्रसारण विभाग स्थापित कर भारतीय प्रसारण सेवा की शुरुआत की, जिसका 1936 में नाम बदलकर All India Radio कर दिया गया। इसे संचार विभाग देखा करता था। देश जब आजाद हुआ और आजाद भारत की नमी सरकार पर रेडियो के प्रसारण का भार पड़ा, तो 1957 में इसका नाम "आकाशवाणी" रखा गया। आकाशवाणी को संचालित करने का प्रसारण एवं सूचना मंत्रालय को सौंपा गया।

देश आजाद होने तक यानी 1947 तक देश में रेडियो के कुल छह स्टेशन ही हुआ करते थे। 1990 का दशक आते-आते पूरे देश में करीब 146 एएम रेडियो स्टेशन खोले जा चुके थे, जिनसे हिंदी और अंग्रेजी के अलावा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में समाचारों और कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता था। 1990 के मध्य तक 31 नरेंद्र एएम और एफ एम स्टेशनों की स्थापना की जा चुकी थी। 1994 में देश के लोगों को आपस में जोड़ने के लिए करीब 85 FM और 73 वेब स्टेशनों की स्थापना की गई।

बात जब रेडियो की हो और उसमें विविध भारती की चर्चा न हो, तो बेमानी ही होगी। जी हां, वहीं अमीन चाचा यानी अमीन सयानी वाला विविध भारती, जिनकी आवाज का जादू आज भी रेडियो सुनने वालों के सिर चढ़कर बोलता है। इस विविध भारती की स्थापना 1967 में विज्ञापन सेवा प्रभाग द्वारा की गयी।

विविध भारती आकाशवाणी या All India Radio की सबसे अच्छी सेवाओं में एक थी। विविध भारती का 'हवा महल' और 'सैनिक भाइयों के लिए गीत-संगीत का कार्यक्रम सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।

देश के अलावा विदेशों में भी All India Radio या अन्य रेडियो स्टेशनों के माध्यम से हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं का प्रसारण किया जाता है। कहा जाता है कि 1 अक्टूबर, 1939 को ब्रिटिश हुकूमत ने अफगानिस्तान के निवासियों पर निर्देशित कार्यक्रम नाजियों के दुष्प्रचार के मुकाबले के लिए किया था। उस समय ऐसे कार्यक्रमों का प्रसारण 16 विदेशी और 11 भारतीय भाषाओं में किया गया था।

खैर, जहां तक भारतीय रेडियो का विदेशों में प्रसारण की बात है, तो 1994 में भारत सरकार ने विदेशों में हिंदी समेत अन्य भारतीय भाषाओं के श्रोताओं के लिए 70 घंटे की खबरें और मनोरंजक कार्यक्रमों के प्रसारण की शुरुआत की। यह प्रसारण 32 साफ्टवेयर ट्रांसमीटर ओर हाई पावर शार्ट वेब बैंड के माध्यम से किया जाता था। आज आलम यह है कि दुनिया के कई प्रमुख देशों में रेडियो के जरिए हिंदी कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है।

इन देशों में रेडियो पर है हिंदी की धूम
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मारीशस
रेडियो प्लस- हिंदी, भोजपुरी, तमिल, तेलुग

बेस्ट एफ एम- हिंदी, अंग्रेजी, क्रियोल

टाप एफ एम- हिंदी, फ्रेंच, क्रिओल

रेडियो मारीशस- हिंदी, उर्दू

ताल एफ एम- हिंदी, भोजपुरी

रेडियो प्लस- हिंदी, फ्रेंच, क्रियोल

म्यूजिक एफ एम- हिंदी, अंग्रेजी, क्रिओल

अमेरिका
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104.9 एफ एम- भारतीय भाषा

1110 एएम- भारतीय भाषा

92.7- भारतीय भाषा

ईज़ी 96- हिंदी

मेरा संगीत- बालीवुड के हिंदी गीत

ईसीबी रेडियो- हिंदी, अंग्रेजी

त्रिनिदाद और टोबैगो
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रेडियो जागृति- हिंदी
हेरिटेज रेडियो- हिंदी
रेडियो 90.5 एफ एम- हिंदी

दुबई
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हम 106.2- हिंदी
सिटी 1016- हिंदी
रेडियो स्पिइस 105.4 एफ एम- हिंदी

नोट: विश्व रेडियो दिवस पर विशेष

जारी.....

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