-अवैध कारोबार की नकदी से तालिबानी नेता खुश
-दुनिया के देशों को संयुक्त राष्ट्र संघ ने दी चेतावनी
विश्वत सेन
नशीले पदार्थो की ब्रिकी, अपहरण और फिरौती वसूली आदि गैर-कानूनी धंधे से कोष एकत्र कर दुनिया में आतंक की पौध उगानेवाला आतंकी संगठन आर्थिक स्तर पर मजबूत होता जा रहा है. अफगानिस्तान में खुद के कोष को मजबूती प्रदान करनेवाले आतंकी संगठन तालिबान की कार्यप्रणाली और उसकी आर्थिक मजबूती को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की पेशानी पर भी चिंता की लकीरें दिखाई दे रही हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ ने दुनिया के देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि जिस तरह से तालिबान वित्तीय मामले में विकास करता जा रहा है, उससे तो यही लगता है कि आनेवाले दिनों में वह एक अलग अर्थव्यवस्था का मालिक बन जायेगा. स्थानीय सरकार के साथ सौदेबाजी करने की स्थिति में होगा.
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रतिबंधों पर निगरानी रखनेवाली टीम ने अपने अध्ययन में यह पाया है कि अफगानिस्तान के हेलमंड में की जा रही अफीम की खेती उसके राजस्व जुटाने का सबसे बड़ा साधन है. इस साल अफगानिस्तान के हेलमंड में अफगानिस्तान की खेती बढ़ने के साथ ही ड्रग स्मगलरों द्वारा किये जा रहे इसके अवैध कारोबार में भी इजाफा हुआ है. संयुक्त राष्ट्र की निगरानी टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वहां के ड्रग स्मगलर अफगानिस्तान में अफीम की खेती करनेवाले किसानों को बकायदा कर्ज भी मुहैया कराते हैं. इसके बदले में किसानों को कर्ज की ब्याज समेत अदायगी करने के साथ ही तालिबान के खाते में 10 फीसदी टैक्स भी जमा करना पड़ता है.
संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रतिबंधों पर निगरानी रखनेवाली टीम के अधिकारियों ने बताया कि इस साल अफगानिस्तान में अफीम की खेती और इसके कारोबार से कम से कम 50 मिलियन डॉलर (दो अरब 98 करोड़ रुपये से अधिक) की आमदनी हुई है. नशीले पदार्थो के कारोबार के अलावा तालिबान आतंकवादी संगठन हेलमंड में अवैध तरीके से गोमेद पत्थरों का अवैध खनन से सालाना करीब 10 मिलियन डॉलर (59 करोड़ 68 लाख रुपये से अधिक) की कमाई करता है. इसके अतिरिक्त इन काले कारोबारों को सुरक्षित व संरक्षित करने के लिए बाकायदा परिवहन और विनिर्माण का भी कारोबार भी करता है. रिपोर्ट में यह बात कही गयी है कि आमदनी का 80 फीसदी हिस्सा पाकिस्तान में बैठे संगठन के नेताओं के पास भेजा जाता है. तालिबान के सेंट्रल फाइनेंशियल कमीशन को मुल्ला अल आगा इशाक्जई संचालित करता है. वही अफगानिस्तान के फील्ड यूनिट और पाकिस्तान में फैले ग्रुप के दूसरे सदस्यों के बीच फंड भेजने का काम करता है.
-दुनिया के देशों को संयुक्त राष्ट्र संघ ने दी चेतावनी
विश्वत सेन
नशीले पदार्थो की ब्रिकी, अपहरण और फिरौती वसूली आदि गैर-कानूनी धंधे से कोष एकत्र कर दुनिया में आतंक की पौध उगानेवाला आतंकी संगठन आर्थिक स्तर पर मजबूत होता जा रहा है. अफगानिस्तान में खुद के कोष को मजबूती प्रदान करनेवाले आतंकी संगठन तालिबान की कार्यप्रणाली और उसकी आर्थिक मजबूती को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की पेशानी पर भी चिंता की लकीरें दिखाई दे रही हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ ने दुनिया के देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि जिस तरह से तालिबान वित्तीय मामले में विकास करता जा रहा है, उससे तो यही लगता है कि आनेवाले दिनों में वह एक अलग अर्थव्यवस्था का मालिक बन जायेगा. स्थानीय सरकार के साथ सौदेबाजी करने की स्थिति में होगा.
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रतिबंधों पर निगरानी रखनेवाली टीम ने अपने अध्ययन में यह पाया है कि अफगानिस्तान के हेलमंड में की जा रही अफीम की खेती उसके राजस्व जुटाने का सबसे बड़ा साधन है. इस साल अफगानिस्तान के हेलमंड में अफगानिस्तान की खेती बढ़ने के साथ ही ड्रग स्मगलरों द्वारा किये जा रहे इसके अवैध कारोबार में भी इजाफा हुआ है. संयुक्त राष्ट्र की निगरानी टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वहां के ड्रग स्मगलर अफगानिस्तान में अफीम की खेती करनेवाले किसानों को बकायदा कर्ज भी मुहैया कराते हैं. इसके बदले में किसानों को कर्ज की ब्याज समेत अदायगी करने के साथ ही तालिबान के खाते में 10 फीसदी टैक्स भी जमा करना पड़ता है.
संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रतिबंधों पर निगरानी रखनेवाली टीम के अधिकारियों ने बताया कि इस साल अफगानिस्तान में अफीम की खेती और इसके कारोबार से कम से कम 50 मिलियन डॉलर (दो अरब 98 करोड़ रुपये से अधिक) की आमदनी हुई है. नशीले पदार्थो के कारोबार के अलावा तालिबान आतंकवादी संगठन हेलमंड में अवैध तरीके से गोमेद पत्थरों का अवैध खनन से सालाना करीब 10 मिलियन डॉलर (59 करोड़ 68 लाख रुपये से अधिक) की कमाई करता है. इसके अतिरिक्त इन काले कारोबारों को सुरक्षित व संरक्षित करने के लिए बाकायदा परिवहन और विनिर्माण का भी कारोबार भी करता है. रिपोर्ट में यह बात कही गयी है कि आमदनी का 80 फीसदी हिस्सा पाकिस्तान में बैठे संगठन के नेताओं के पास भेजा जाता है. तालिबान के सेंट्रल फाइनेंशियल कमीशन को मुल्ला अल आगा इशाक्जई संचालित करता है. वही अफगानिस्तान के फील्ड यूनिट और पाकिस्तान में फैले ग्रुप के दूसरे सदस्यों के बीच फंड भेजने का काम करता है.
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