शनिवार, 18 अगस्त 2012

पांच नंबर का जाम


विश्वत सेन
शुक्रवार 17-18 अगस्त, 2012 की रात साढ़े बारह बजे। दिल्ली के दक्षिणी और दक्षिण-पूर्व इलाके की रिंग रोड स्थित महारानी बाग और सराय काले खां बस अड्डे के फ्लाईओवर के पहले का स्थान। दोनों जगहों पर करीब दो फर्लाग पहले से भारी और हल्के वाहनों की लंबी कतार और इन कतारों के बीच कलाबाजी दिखाते ऑटो और मोटरसाइकिल वाले। आगे निकलने की होड़, गंतव्य तक पहुंचने की दौड़। कुछ वाहन स्पीड गवर्नर के साथ, तो अधिकतर बिना स्पीड गवर्नर के ही रोड पर फर्राटा भरते हुए जामस्थल पर आकर थम जाते हैं और कुछ पल के लिए थम जाती हैं सांसें। इस आशंका से कि पता नहीं आगे क्या है? धीरे-धीरे कछुए की चाल की तरह रेंगते हुए आगे बढ़ती गाड़ियां और फर्लाग-दो फर्लाग पर वाहनों की जांच करते पांच नंबर (दिल्ली ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का इंफोर्समेंट विंग के जांच दल को स्थानीय स्तर पर पांच नंबर कहा जाता है।) का बैरिकेट्स और उसके सामने वाहनों की जांच करते अधिकारी।
जांच सभी वाहनों की। तिपहिया, दोपहिया, हल्के और भारी वाहनों की जांच। जांच दस्तावेजों की कम और चालकों की ज्यादा। दस्तावेजों पर सरसरी निगाह, मगर जेबों पर पैनी नजर। किसी जेब मोटी और किसकी खाली। दस्तावेजों में कमी हो और जेब मोटी हो, तो फिर कोई कमी नहीं है। यदि जेब खाली है, तो ड्राइविंग लाइसेंस, फिटनेस के कागज, आरसी, प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र, बैच नंबर आदि सही होने पर भी कमी निकल ही आती है और फिर सरकारी खाते में कट ही जाता है सफेद-काला चालान। मौके पर चालान कट गया, तो सोने पे सुहागा और यदि जेब में चालान के भी पैसे नहीं हैं, तो दस्तावेज जब्त और कोर्ट से छुड़वाने का फरमान जारी। जाइए, वहीं निपटिएगा। यही सिलसिला चलता है रोज रात को इन दोनों स्थानोंे पर।
करीब पांच घंटे तक के सफर वाली दिल्ली की रिंग रोड पर रात में कहीं भी पांच नंबर का जाम नहीं लगता। यदि कहीं लगता है, तो सिर्फ दो स्थानों पर। पहले तो मुङो इस जाम के राज का पता ही नहीं चलता था। सोचता-‘हो सकता है दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और तिपहिया चालकों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए यह जांच की जा रही हो।ज् मन में खुशी होती और मैं मन ही मन सरकार का धन्यवाद करता। यहां तक कि पांच नंबर के इस जाम को देखकर भला-बुरा कहने वाले को भी मैं तसल्ली से सुरक्षा मानकों और रात में सफर करने वालों की बेहतरी के बारे में समझाता। मगर शुक्रवार की रात को पांच नंबर वालों की एक हरकत देख मेरा माथा ठनका और इसी के साथ धुल गई पांच नंबर की बगुले की पांख की तरह दकदक साफ छवि।
गहराती, सनसनाती रात में मेरी सवारी महारानी बाग के जाम को वही पहले वाली छवि के तहत पार करके सराय काले खां पहुंची। वहां से ऑटो से कश्मीरी गेट का सफर शुरू हुआ। काले खां के फ्लाईओवर के ठीक सामने प्रगति मैदान वाले छोर पर पांच नंबर वाले जांच दल के अधिकारी। वाहनों की लंबी कतार में ऑटो वाला सर्विस लेन से निकले के बजाए मेनरोड से निकलने लगा। तभी पांच नंबर वालों ने टॉर्च जलाकर उसे रोक लिया। न सिर्फ उसे रोका, बल्कि उसके जसे कई वाहन चालक साइड में खड़े होकर वाहनों और जेबों की जांच करा रहे थे। तभी मैंने सोचा-रोज इन दोनों जगहों पर लगने वाला जाम आम नहीं है, बल्कि यह पांच नंबर का जाम है।

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