मंगलवार, 24 अप्रैल 2012

अक्षय पर्व

जय हो. जय हो अक्षय पर्व की
जय हो, जय हो विजय पर्व की
जय हो, जय हो भारतवर्ष की
जय हो, जय हो आर्यावर्त की|

अतुल शक्ति हो, अखिल भक्ति हो
अमूल निधि हो समूल विधि हो
विश्व विजय हो, देश निर्भय हो
शत्रु सभय हो, निधि अभय हो
जय हो, जय हो नित्य उत्कर्ष की
जय हो, जय हो भारतवर्ष की||

अक्षय दिवस है, विजय दिवस है
सुभग सुयश है, भागता अपयश है
पराभव क्षय हो, निखिल विजय हो
प्रीति अभय हो, नीति अजेय हो
क्षय हो, क्षय हो, अपकर्ष की
जय हो, जय हो भारतवर्ष की||

बढ़कर के तुम हुंकार भरो
चढ़कर के तुम प्रहार करो
मैत्री को स्वीकार करो
इस सृष्टि का उद्धार करो
पहले पहल मानवता तय हो
भारतवर्ष का सर्वत्र विजय हो
जय हो, जय हो उल्लास हर्ष की
जय हो, जय हो भारतवर्ष की||

दुर्जनों को हमने बहुत सहा
अनुज समझ आलिंगन गहा
अनीतियों को भी है खूब सहा
पर तत हाथ शत्रु से जा मिला
जय हो, उदय हो, परशुराम की
जय हो, जय हो बलिराम की
जय हो, विजय हो, अमोघ अस्त्र की
जय हो, जय हो भारतवर्ष की||

अनुपम अतीत को जरा झांको
अफीम का मत फांका फांको
सारे दिग दिगंत को तुम बांधो
शब्दभेदी बाणों को भी साधो
सबल सकल यन्त्र की जय हो
विश्व गुरु के मंत्र की जय हो
जय हो, जय हो, विमल विमर्श की
जय हो, जय हो भारतवर्ष की||

निज सभ्यता है कितना प्राचीन
पूर्वोत्तर में चढ़ा जा रहा है चीन
पश्चिम में पाक भी हुआ मलीन
हमारी भूमि हमसे रहा है छीन
जय हो, जय हो, धनुर्धर वीर की
विनम्र विजय हो केशव रघुवर की
जय हो, जय हो सुदर्शन चक्र की
जय हो, जय हो भारतवर्ष की||

युवकों को लगा है प्रेम रोग
तीव्र हो रहा है विलास भोग
चौसर पर बैठी है तरुणाई
पांचाली की है याद दिलाई
सदय अजय हो, पञ्च परमेश्वर
जय- विजय, जय हो जगदीश्वर
शीघ्र विजय हो असह्य संघर्ष की
जय हो, जय हो भारतवर्ष की||

दीन-दुखियों के हैं परमेश्वर
पालनकर्ता है अखिलेश्वर
फिर घात लगा क्यों बैठा नश्वर
सुभग सौभाग्य कर रहा है क्षर
जय हो, जय हो अखिलेश्वर की
अखिल विजय हो भारतवर्ष की
जय हो, जय हो, परमेश्वर की
जय हो, जय हो भारतवर्ष की||

विश्वत सेन
अप्रैल 24 , 2012

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