बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

यौवन पर डाका?




विश्वत सेन

तनिक अटारी ठाढ़ भई, सुंदर-सी कचनार
कबहुं घुंघट पट खोल दे, कबहुं झरोखे झांक
कंचन कामिनी देख कै, लौंडन छोड़े उच्छवास
मधुर मिलन की आस में, करन लगे उपवास
यौवन पर डाका देख कै, काकी का तन-मन डोला
काका के सम्मुख जाय के, कर्णपात्र में विष को घोला
काका के बदले तेवर, चल पड़ा जुबाने खंजर
लौंडन के हिय को बेधा, कामिनी को छेदा
काका के तेवर देख कै, लौंडन भए तितर-बितर
अटारी पर न कामिनी रही, न देहरी पर मंजर

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