शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

नहीं फटेगी छाती

विश्वत सेन 
चाक हाल देख कुम्हार का 
चाक चाक़ से बोला
बिना चाप के चाल न होगी
औ चाल रह जायेगा खुल्ला
मिट्ठी करो जरा पाणी को 
धूल धौल गिर जमाव 
हरिणी के दिन आवेंगे 
धन पावस लियो कराय
विधु हिरणी-सी चमकत हरिणी 
वेद-वेदांत पूजाय
मृदुमृदा के सेज-सज्जा पर 
इन्हें लियो बुलाय
ताहि समय देख केहु पाहन 
पायन लियो पखार 
घृत, दधि, अईपन के बिना भी
आरती लियो उतार
चक्र चाव सुन जागा चक्रधर 
धरणी लियो सम्हार
धर धरनी ओटन लगे 
करन लगे बेडा पार
ताहि समय कछु देख कै
हरिणी का हिया डोला 
रजत, ताम्र, सुवर्ण, पुष्प लै
चक्रधर से बोला 
पूरी हुयी धरणी तुम्हारी 
अब बनेगी चाल 
चाक चाप के धरियो
नहीं रहोगे फटेहाल 
हरिणी के सम्मुख देख कै 
चक्रधर भये निढाल 
धूल पाणी जोड़ी कै 
चरणामृत दिए डाल
धन्य भया जीवन उनका 
धन्य भई चकबाती
अब हरिणी के बिना कभी 
नहीं फटेगी छाती

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