सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

त्रिशूल गायब

विश्वत सेन
एक बार हिम शिखर पर
उठा बवंडर भारी 
गुस्से से लाल-पीले 
हो रहे थे जटाधारी  
उनका त्रिशूल गायब था 
हो रही थी उन्हें फ़िक्र भारी 
माता जया से सक्रोध पूछा,
बता, त्रिशूल कहाँ है नारी?
शांत भाव से माता बोलीं,
क्रोध तजो तो त्रिपुरारी.
आज शाम पुत्र गणेश 
जा रहा था बाज़ार,
संग में उसके जा रही थी,
एक सुन्दर लड़की प्यारी
चाउमीन खाने को कहता था,
पर नहीं था घर में आटा.
कह गया है मुझसे, कह देना 
ले जाता हूँ पापा का कांटा

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